मेरी भी एक नानी थी
सुनाती मुझे कहानी थी
मेरी भी एक नानी थी
सुनानी मुझे उसकी कहानी थी
सूरत उसकी भली-भली सी थी
कभी नीम तो कभी मिश्री की डली थी
मेरी माँ छांव में उसके पली थी।
मेरी भी एक नानी थी
उसकी भी एक नानी थी
देती गुड़ धानी थी।
नाना की जो नानी थी
बोली उसकी बड़ी सुहानी थी
सूरत भली-भली थी
पिलाती छाछ और खिलाती मक्खन की डली थी।
मेरी भी एक नानी थी
मुझे उसकी याद क्यूं आनी थी।
वो कभी न आनी थी
याद उसकी बार-बार आनी थी
मेरी भी एक नानी थी
उसकी कोई पाती तो आनी थी।
मेरी भी एक नानी थी
वो न कभी आनी थी
याद उसकी मगर रह-रहकर आनी थी।
Nice ..😊
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