Friday, June 7, 2013

तुम्हारे लॉकर में बहुत सारे गहने हैं

तुम्हारे लॉकर में बहुत सारे गहने हैं
और किसी के पास नहीं
केवल तुम्हारे पास
तुमको उनका मोल भी मालूम नहीं

एक दो नहीं
कई हैं
छोटे-बडे़
तरह-तरह के रंग-रूप के कई गहने
मैंने देखे हैं।

कुछ झिलमिलाते हैं
कुछ देर तक चमकते हैं
कुछ चमकते नहीं
पर वे हैं
मैंने देखे हैं।

वे कभी नहीं घिसेंगे
उनकी चमक कभी फीकी नहीं पड़ेगी
वे कभी नहीं टूटेंगे
उनका मोल कभी कम न होगा।
वे रहेंगे पीढि़यों तक वैसे ही सही सलामत

कोई चोर डाकू उन्हें चुरा न पाएगा
कोई किसी हाट बाजार में बेच न पाएगा
कोई उनकी ठीक-ठीक कीमत नहीं लगा पाएगा।
वे रहेंगें तुम्हारे पास

वे सोने-चांदी-तांबे-कांसे-पीतल के नहीं
नकली केवल दिखावे भर के भी नहीं
बिल्कुल असली २४ कैरट खरे सोने के।

कभी-कभी मैं उनकी चमक देखता हूँ
कभी-कभी मैं भी नहीं देख पाता
कभी-कभी मैं उनका मोल लगाता हूँ
कभी-कभी मैं भी नहीं लगा पाता।

संसार में जितनी भी धातुएं हैं
वे उन सबसे अलग
सबसे जुदा उनकी धज
उनको जांचने-परखने की कसौटी
किसी के पास नहीं।

वे कई बार आँखों से दिखते
और कई बार आँखोंसे नहीं दिखते हैं।
किसी ने भी नहीं देखे वे गहने
मैंने देखे हैं

अपनी इन दो आँखों से।
वे कहीं गहरे छिपे हैं तुम्हारी आँखों में
केवल तुम्हारी देह पर नहीं खिलते वो

तुम्हारे भीतर की अतल गहराईयों में
रत्न की तरह छिपे
पृथ्वी की अनंत गहराईयों में
हाथ आते वे
हीरे की तरह अचानक और कभी-कभी तो जान ले लेते हैं
तब भी हाथ नहीं आते।

राजा-महाराजाओं के भी हाथ नहीं आते वे
और कभी-कभी टकराते हैं
एक मजदूर की कुदाल से
उसके पसीने की बूंदो से चमकते हैं वे।




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